राजभाषा

निदेशक की ओर से

संस्थान में राजभाषा हिंदी

भारतीय विदेश व्‍यापार संस्‍थान (मानित विश्‍वविद्यालय) वाणिज्‍य मंत्रालय, भारत सरकार  के अंतर्गत एक स्‍वायत्‍तशासी संस्‍था है ।  संस्‍थान की स्‍थापना वर्ष 1963 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की पहल पर विदेश व्‍यापार को ध्‍यान में रखते हुए की गई थी । संस्थान अपने मूल उद्देश्य शिक्षण, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान की ही भांति संघ की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के प्रति पूरी तरह सचेत और जागरूक है । कार्यालयीन कामकाज में अधिक से अधिक राजभाषा हिंदी का प्रयोग किया जाता है । संस्‍थान को माननीय राष्‍ट्रपति महोदय द्वारा 'क' क्षेत्र में राजभाषा नीतियों के श्रेष्‍ठ कार्यान्‍वयन के लिए हाल ही में 14 सितम्‍बर 2017 को हिंदी दिवस के अवसर पर वर्ष 2016-17 का 'राजभाषा कीर्ति पुरस्‍कार' तृतीय व वर्ष 2015-16 का 'राजभाषा कीर्ति पुरस्‍कार' द्वितीय तथा वर्ष 2010-11, 2011-12  व 2012-13 के लिए 'इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्‍कार' तृतीय प्रदान किए गए  हैं। इसके अतिरिक्‍त, वाणिज्‍य मंत्रालय की ओर से संस्‍थान को 'क' क्षेत्र में राजभाषा के श्रेष्‍ठ कार्य निष्‍पादन के लिए वर्ष 2015-16 का  तृतीय पुरस्‍कार 'राजभाषा शील्‍ड' तथा तत्‍कालीन माननीय राज्‍य मंत्री द्वारा वर्ष 2010-11 का प्रथम पुरस्‍कार प्रदान किया गया है।  उपर्युक्‍त पुरस्‍कार संस्‍थान में राजभाषा के प्रति हमारी कटिबद्धता को दर्शाते हैं।    

राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार को ध्‍यान में रखते हुए संस्थान में समय-समय पर प्रबंधन विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत देश के दूर-दराज क्षेत्रों से आने वाले सहभागिायों को हिंदी माध्‍यम से प्रशिक्ष्‍ाण दिया जाता है तथा प्रशिक्षण संबंधी सामग्री भी हिंदी में उपलब्‍ध कराने का प्रयास किया जाता है । हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की श्रृंखला में विभिन्नि राज्यों  से आए आईटीआई प्रिंसिपल तथा रोजगार केन्द्र के अधिकारियों को क्षमता विकास निमार्ण विषय पर शिक्षण/प्रशिक्षण पूर्ण रूप से हिंदी माध्यम से दिया गया।  इसी क्रम में भारत सरकार की 'निर्यात बंधु योजना' के अंतर्गत आयात-निर्यात व्‍यवसाय में ऑन-लाइन प्रमाण-पत्र कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

संस्थान भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा प्रति वर्ष जारी किए जाने वाले वार्षिक कार्यक्रम में दिए गए लक्ष्‍यों को शत प्रतिशत पूरा करने तथा समय-समय पर दिए जाने वाले निर्देशों के अनुपालन के प्रति कटिबद्ध है।


(प्रोफेसर मनोज पंत)

निदेशक